शपथ ग्रहण समारोह के लिए सार्क देशों के प्रमुखों को आमंत्रण

मनोनीत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए उनकी इच्छा पर भारतीय विदेश विभाग द्वारा सार्क देशों के प्रमुखों को आमंत्रण दिया गया , आज की तारीख तक बांग्लादेश के प्रमुख को छोड़ सभी के आने की स्वीकृति विदेश विभाग के पास है। बंगलादेशी प्रमुख के पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के कारण उनके प्रतिनिधि के आने की संभावना है। 

saarc countryयह आमंत्रण नयी सरकार के आगमन पर औपचारिक शिष्टाचार के तहत भेजे गए हैं और सार्क देशों ने इसे इसी रूप में देखा है। आसपास के देशों से हमारे संबंधों को क्या केवल भारत -पाकिस्तान तक ही देखा जाता है / देखा जाना चाहिए ?? … जिस तरह से हमारे बीच इस पूरे न्योते में पाक का गाना बज़ रहा है और उससे संबंध बेहतर बनाने .. उसपर कूटनीतिक बढ़त .. मोदी जी की भावी सरकार का सकारात्मक पक्ष … उसके नकारात्मक पक्ष .. आदि पर सारी बातें केंद्रित हैं .. लगता तो ऐसा ही है, जो है नहीं या यूँ कहूँ होना नहीं चाहिए।

साहेब , आपका ध्यान जरा इधर भी चाहूंगा .. पिछले कुछ दशकों में पड़ोस के नेपाल से हमारे अब रिश्ते वैसे नहीं रहे जैसे परंपरागत तौर पर रहे हैं। बंगलादेश और हमारे बीच की तल्खी सीमा विवाद के चलते तो नहीं लेकिन अवैध घुसपैठ के साथ पूर्वोत्तर के अलगाववादी ग्रुपों के पनाह जैसे मामलों पर बढ़ी ही है। श्रीलंका के साथ औपचारिक शांति के बीच अंदर और बाहर दोनों तरफ से तमिल मामले की अच्छी -बुरी बात मौजूद है। अफगानिस्तान अभी के अपने पुनर्निर्माण की हालत में हमसे तो क्या किसी से भी रिश्ते बिगाड़ना नहीं चाहेगा .. जब तक की उसे अपनी आंतरिक नुक्सान की आशंका न हो .. जो उसके और पाक के रिश्ते में दीखता है। मॉल दीव भी अक्सर हमारे साथ सहयोग का रिश्ता भूलता रहा है.. जबकि नावभर सवार लिट्टे के कब्ज़े से राजीव जी की सरकार ने उन्हें मुक्त कर उनके इतिहास सहित भूगोल को बदलने से बचाया था कभी।

इन सबके बीच एक अकेला भूटान है जिसके बारे में हम अपने रिश्तों को अच्छा बताने के अलावा कोई बुरा मामला नहीं ध्यान कर सकेंगे। पटीदारी (पड़ोस ) के लोगों से हमारा रिश्ताइ सच अभी हाल के दशकों से यही है।

आप और हम बात करते हैं भारत की महाशक्ति बनने का .. हमे 2020 तक ये बना देने की बात भी कभी सुनाई गयी .. अच्छा है … हम उस रास्ते पर हैं भी .. कितना आगे बढे हैं ये बात अलग है .. अब कैसे उस पर आगे जाना है ये ज्यादा महत्वपूर्ण है। हमने अपने गाँव घर में सुना होगा की मालिक आप शहर सुधारने निकले हैं पहले अपना मोहल्ला तो अपने मिज़ाज़ का करिये !! .. हमने ये भी सुना होगा की कौन किस हैसियत का है .. किस प्रकृति का है अगर ये जानना -समझना हो तो आप उसके पड़ोसिओं से बात करें या उनके रिश्तों को देखें …. दूर बैठे आपको उस अमुख के असली रंगत का पता चल जाएगा।

विदेश नीति के इस जरुरी पहलू पर भारत विदेश विभाग ने अपना कदम बढ़ा दिया है और आज हमे अपने मामलों को महज पाक तक सिमटा के रख देना पाक की पीछे छुपी नियत ..आपसी संबंधों को अंतर्राष्ट्रीय चर्चा का मामला बनाये रखने में हमे शुमार कर देता है … हमारे हालिया जमीनी ताल्लुकात .. ब्यापार में , आधारभूत विकास के सहयोग में , सुरक्षा में , कृषि आदि सहित तमाम मामलों में उतने अच्छे बिलकुल नहीं हैं जितने ये हो सकते थे .. किये जा सकते थे..तब ..जब हम भौगोलिक रूप से एक दुसरे के समान हालात वाले मुल्क है और हमारे रिश्ते रोटी -बेटी से लेकर जमीन, पानी तक जुड़े हैं।

भारत अपने पड़ोसिओं में ज्यादा समर्थ है .. यही सामर्थ्य इसे अपने पड़ोसी देशों को एक साथ ले आने में दिखने की अपेक्षा होनी चाहिए और रिश्तों की इन तमाम तालाबंदी.. जकड़न के बीच .. हालिया आमंतण को औपचारिक सकारात्मक मौका बना … समग्र सार्क क्षेत्र के बीच आपसी सहयोग के वातावरण पर बात होनी चाहिये .. भले और बुरे दोनों संदर्भों में।

घर -पड़ोस से मजबूत और पट्टीदारों से मेलमिलाप पर ही बड़ा भाई ”चौधरी” .. चौधरी होता है /हो सकता है /होना चाहिए।

Apna Purvanchal Admin

Learn More →

Leave a Reply