माता दुर्गा के नौ रूपों की साधना करने से भिन्न-भिन्न फल प्राप्त होते हैं । कई साधक अलग-अलग तिथियों को जिस देवी की तिथि है उनकी साधना करते हैं । आइए जाने की हर दिन किस मंत्र से देवी की अराधना करते हैं ।
(1) माता शैलपुत्री
प्रतिपदा के दिन इनका पूजन जप किया जाता है । मूलाधार में ध्यान लगा कर इनके मंत्र को जपते हैं । धन्य-धान्य ,ऐश्वर्य , सौभाग्य आरोग्य तथा मोक्ष के देने वाली माता मानी गई है ।
मंत्र:- ‘-ऊं ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:। ‘
(2) माता ब्रह्मचारिणी
स्वाधिष्ठान चक्र में ध्यान कर इनकी साधना की जाती है । संयम , तप , वैराग्य और विजय प्राप्ति की दायिका है ।
मंत्र:- ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम: ।’
(3) माता चंद्रघंटा
मणिपुर चक्र में इनका ध्यान किया जाता है । कष्टों से मुक्ति तथा मोक्ष प्राप्ति के लिए इन्हें पूजा जाता है ।
मंत्र:- ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम: ।’
(4) माता कुष्मांडा
अनाहत चक्र में ध्यान पर इनकी साधना की जाती है । रोग , दोष, शोक की निवृति तथा यश , बल , व आयु की दात्री मानी गयी है ।
मंत्र :–‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडायै नम: ।‘
(5) माता स्कंदमाता
इनकी आराधना विशुद्ध चक्र में ध्यान कर की जाती है । सुख , शांति व मोक्ष की दायिनी है ।
मंत्र:- ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं स्कन्दमातायै नम: ।’
(6) माता कात्यायनी
आज्ञा चक्र में ध्यान कर इनकी आराधना की जाती है । भय , रोग , शोक , संतापो से मुक्ति तथा मोक्ष की दात्री है ।
मंत्र:- ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम: ।’
(7) माता कालरात्रि
ललाट में ध्यान किया जाता है । इनकी आराधना से शत्रुओं का नाश , कृत्या बाधा दूर कर साधक को सुख शांती प्रदान कर मोक्ष देती है ।
मंत्र:- ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्रै नम: ।’
(8 ) माता महागौरी
मस्तिष्क में ध्यान कर इनको जपा जाता है । इनकी साधना से अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती है । असंभव से असंभव कार्य पूर्ण होते हैं ।
मन्त्र :- ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्यें नम: ।’
(9) माता सिद्धिदात्री
मध्य कपाल में इनका ध्यान किया जाता है । सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं ।
मंत्र:- ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नम: ।’