उपवन के फूलों ने प्रश्न ये उछाले हैं.
किसने ये तितली के पंख नोच डाले हैं.
Category: Social Media
एक मूर्ति बनाने पर तीन हजार करोड़, पर मद के आभाव में नौकरियों पर रोक
एक मूर्ति बनाने पर तीन हजार करोड़ खर्च करने वाली सरकार ने अर्थव्यवस्था को मेंटेन करने के नाम पर एक वर्ष के लिए केंद्र सरकार की सभी नौकरियो पर रोक लगा दी है, यह रोक कब तक जारी रहेगी कहा नहीं कहा जा सकता …
मेरी प्रिय गाय व खूबसूरत बछिया
यदि आपके यहां कोई हाई ब्लड प्रेशर का मरीज हो तो वह गाय पाल ले अथवा गाय से दोस्ती कर ले। रोज दस बीस मिनट वह गाय की पीठ पर अपने हाथ से सहलाये। पूरी पीठ से लेकर उसके डिल तक। रोमांचकारी परिणाम आयेगा कि उनका बीपी सामान्य हो जायेगा।
SIT के पास पूरी लिस्ट होने, उसके जाँच में लगे रहने के बाद भी लिस्ट की सेकेण्ड कॉपी किसलिए
SIT ने किया काम और जाँच के बाद खोले पहले आठ काले नाम। बाकी बचे.. बिना जाँच के, ये सील बंद लिफाफा, सुप्रीम तो क्या यमराज भी नहीं खोल सकते नियमानुसार।
शरिया अदालतों को क़ानूनी मान्यता नहीं – सुप्रीम कोर्ट
”सलाह” को आप ”आदेश” नहीं बना सकते .. सुन रहे हैं न शंकराचार्य जी !! सुप्रीम कोर्ट ने शरिया कोर्टों को नाजायज़ सलाहों से बचने की सलाह दी है |
बिकी मीडिया और निष्पक्ष / जिम्मेदार मीडिया
बिकी मीडिया और निष्पक्ष / जिम्मेदार मिडिया .. इन शब्दों को सुविधानुसार इस्तेमाल करना बंद करिये .. ”हमारे -आपके इस सस्ते खेल के बीच इसमें लगे सार्थक लोगों के काम जाया हो जाते हैं” बाज़ार में बाजारू नहीं होशियार ग्राहक होने की आदत डालनी होगी।
वो करें तो धरना…आप करें तो मजबूरी…कल के लिए जरुरी…
पहली बार हम #UP वालों ने #जाति नही देखि, #धनबल नही देखा, #क्षेत्रवाद नही किया और आपने भी किसी को भी कही से भी चुनाव लडवा लिया। क्योंकि UP वालों ने आप को देखा, होने वाले #विकास के सपने देखे। पर ये क्या? अब आप तो केवल #धंधा_वालों के साथ #चाय पीने लगे हैं।
महिना भर से अधिक का राज दे दिया इन्हें .. दशकों कि बात बराबर करने को इत्ते काफी थे
बहुत हो गया कांग्रेस मुक्त भारत और बदलाव की बात .. महिना भर से अधिक का राज दे दिया इन्हें .. दशकों कि बात बराबर करने को इत्ते काफी थे .. लेट्स प्रे फार आवर ओल्ड मालिक .. वी फील अपने जैसे टाइप्स विद ओल्ड मालिकान
महंगाई के अलावा मुद्दे और भी है – सैकड़ों अपने लोग फंसे है ईराक में
भाग- भाग के इंटनेशनल होने की क्या जरुरत .. देश में क्या परेशानी कम है जो दूर की ख़ुशी बाँचे .. चलो तुम लोकल ही रहो .. अच्छा पंडित .. उसमे भी एक लोकल मामला है .. सुनो तो .. सैकड़ों अपने भाई लोग और ठीक ठाक बहन जी लोग फंसे है उधर शांति सदभाव के बीच सत्ता परिवर्तन वाले ईराक में…
भाषा रे भाषा तेरा रँग कैसा – जिसमे मिला दो उसी के जैसा।
इन मामलों का सत्यानाश बुद्धि और राज की नीति ने किया है वरना भाषा तो जहाँ जिससे मिली उसमे समा अपना – अपना स्वाद बखूबी अलग सम्हाले और महसूस कराती रही।