तुलसी और तुलसी के गुण

हिंदू धर्म ग्रंथों और आयुर्वेद में तुलसी का जितना बखान किया गया है , उतना किसी और वृक्ष और पौधे का शायद ही किया गया हो । इन ग्रंथों में रेखांकित किया गया है कि तुलसी धार्मिक , आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक महत्व की दृष्टि से विलक्षण पौधा है । जिस घर में इसकी स्थापना होती है, वहां आध्यात्मिक उन्नति के साथ सुख, शांति और समृद्धि स्वमेव आती है । इससे वातावरण में स्वच्छता और शुद्धता बढ़ती है, प्रदूषण पर नियंत्रण होता है , आरोग्य में वृद्धि होती है जैसे अनेक लाभ इससे प्राप्त होते हैं ।

तुलसी के प्रकार :-

तुलसी पांच प्रकार की होती है :-

  1. श्याम तुलसी
  2. राम तुलसी
  3. श्वेत (विष्णु) तुलसी
  4. वन तुलसी
  5. नींबू तुलसी ।

हिंदू धर्म में तुलसी मां को लक्ष्मी का रूप मानकर घर के आंगन में पूजनीय स्थान दिया गया है । लेकिन इसके अलावा भी तुलसी से धार्मिक , आध्यात्मिक व आयुर्वेदिक की दृष्टि से कई लाभ मिलते हैं । यदि तुलसी के पांचो प्रकारों को मिलाकर उनका अर्क निकाला जाए तो पूरे विश्व की सबसे प्रभावशाली और बेहतरीन दवा बन सकती है । एंटी ऑक्सीडेंट , एंटीबैक्टीरियल , एंटीवायरल , एंटीफ्लू , एंटीबायोटिक , एंटी इन्फ्लेमेंटरी व एंटी डिजीज की तरह कार्य करने लगती है ।

तुलसी और तुलसी-पूजा से जुड़ी 10 उपयोगी महत्वपूर्ण और रोचक बातें :-

  1. आयुर्वेद के अनुसार, तुलसी के नियमित सेवन से व्यक्ति के विचार में पवित्रता, मन में एकाग्रता आती है और क्रोध पर नियंत्रण होने लगता है । आलस्य दूर हो जाता है । शरीर में दिन भर स्फूर्ति बनी रहती है । इसके बारे में यहां तक कहा गया है कि औषधीय गुणों की दृष्टि से यह संजीवनी बूटी के समान है ।
  2. तुलसी को संस्कृत में हरिप्रिया कहा गया है अर्थात जो हरि यानी भगवान विष्णु को प्रिय है । कहते हैं कि औषधि के रूप में तुलसी की उत्पत्ति से भगवान विष्णु का संताप दूर हुआ था । इसलिए तुलसी को यह नाम दिया गया है । धार्मिक मान्यता है कि तुलसी की पूजा-आराधना से व्यक्ति स्वस्थ और सुखी रहता है ।
  3. पौराणिक कथाओं के अनुसार देवों और दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका , उसी से तुलसी की उत्पत्ति हुई थी । इसलिए इस पौधे के हर हिस्से में अमृत समान गुण है ।
  4. हिंदू धर्म में मान्यता है कि तुलसी के पौधे की ‘जड़’ में सभी तीर्थ , ‘मध्य’ भाग में सभी देवी- देवता और ‘ऊपरी’ शाखाओं में सभी देव यानी चारों वेद स्थित हैं । इसलिए इस मान्यता के अनुसार, तुलसी का प्रतिदिन दर्शन करना पाप नाशक समझा जाता है और इसके पूजन को मोक्षदायक कहा गया है ।
  5. कहते हैं कि जब हनुमान लंका भ्रमण कर रहे थे , तो लंका में विभीषण के घर तुलसी का पौधा देखकर वे बहुत प्रसन्न हुए थे । रामचरितमानस में वर्णन है कि ” नामायुध अंकित गृह शोभा वरिन न जाई । नव तुलसी के वृंदा तहंदेखि हरषि कपिराई ।।” यही कारण है कि हनुमानजी ने सिर्फ विभीषण के महल को छोड़कर पूरी लंका जला डाली थी ।
  6. मान्यता है कि जिस मृत शरीर का दहन तुलसी की लकड़ी की अग्नि से किया जाता है , वे मोक्ष को प्राप्त होते हैं और फिर उनका पुनर्जन्म नहीं होता है अर्थात जन्म मरण के चक्र से छुटकारा मिल जाता है ।
  7. प्रचलित परंपरा के अनुसार , मृत शैया पर पड़े व्यक्ति को तुलसी दल युक्त जल का सेवन कराया जाता है , क्योंकि हिंदू विधान में तुलसी की शुद्धता सर्वोपरि है । इससे व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है ऐसा माना जाता है ।
  8. पद्म पुराण में उल्लिखित है कि जहां तुलसी का एक भी पौधा होता है , वहां त्रिदेव (ब्रह्मा , विष्णु और महेश ) निवास करते हैं । इस ग्रंथ में वर्णित है कि तुलसी की सेवा करने से महापातक से महापातक व्यक्ति के संपूर्ण पाप भी उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं , जैसे सूर्य के उदय होने से अंधकार नष्ट हो जाता है ।
  9. कहते हैं कि जिस पूजा और यज्ञ के प्रसाद में तुलसी दल नहीं होता है , उस भोग को भगवान स्वीकार नहीं करते हैं । भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों और स्वरूपों की पूजा में तुलसी का नैवेद्य नहीं होने पर पूजा अधूरी मानी जाती है । विष्णु पूजा के लिए तो यहां तक कहा गया है कि कोई भी नैवेद्य न हो , कोई भी विधान न किया गया हो और केवल तुलसी का एक पत्ता भी अर्पित कर दिया जाए तो पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त हो जाता है ।
  10. तुलसी का एक नाम वृंदा है । प्राचीन भारत में मथुरा के आसपास कई योजन में फैला इसका एक विशाल वन था , जिसे वृंदावन कहते थे । वृंदा यानी तुलसी से प्रेम होने के कारण द्वापर युग में भगवान विष्णु ( कृष्णा अवतार में) यहां विहार करते थे । इसलिए उनका एक नाम वृंदावन बिहारी भी है ।

अनेक रोगों की दवा ( तुलसी ) :-

तुलसी की पत्तियां औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं । दूध में तुलसी के पत्ते डालकर पीने से कई रोगों से मुक्ति मिलती है । लोग अक्सर सर्दी जुकाम से बचने के लिए चाय में तुलसी की पत्तियों का इस्तेमाल करते हैं । लेकिन अगर इसी तुलसी की पत्तियों को हम सर्दी जुकाम में ही नहीं , तुलसी की पत्तियों को रोजाना दूध में उबालकर पीने से इन बड़े से बड़े पांच रोगों से आसानी से छुटकारा मिल सकता है ।

  1. दमा रोग :- यदि आप सांस संबंधी समस्या दमा जैसे किसी रोग से परेशान हैं तो दूध के साथ तुलसी की पत्तियों को उबालकर पीएं । ऐसा करना दमा रोगियों को फायदा होगा ।
  2. माइग्रेन रोग :- दूध में तुलसी के पत्तों को उबालकर पीने से सिर दर्द या माइग्रेन जैसी समस्याओं से राहत मिलती है । नियमित रूप से तुलसी दूध का सेवन करने से इस समस्या को जड़ से समाप्त किया जा सकता है ।
  3. डिप्रेशन रोग :- आफिस की टेंशन या फिर काम के बोझ की वजह से अगर आप अक्सर तनाव में या डिप्रेशन में घिरे रहते हैं तो दूध में तुलसी की पत्तियों को मिलाकर पीएं । इसे पीने से मानसिक तनाव और चिंताएं दूर होती है ।
  4. पथरी रोग :- अगर किसी व्यक्ति को पथरी की समस्या है तो उसे नियमित रूप से खाली पेट तुलसी दूध पीना चाहिए । ऐसा करने से किडनी की पथरी की समस्या और दर्द दूर हो जाता है ।
  5. रोग प्रतिरोधक क्षमता :- तुलसी के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट्स गुण मौजूद होने से यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं । इसके अलावा तुलसी के पत्तों में एंटीबैक्टीरियल एवं एंटीवायरल गुण भी मौजूद होते हैं जो सर्दी खांसी व जुकाम से व्यक्ति को दूर रखते हैं ।

तुलसी दूध का सेवन कैसे करते हैं ?

तुलसी दूध बनाने के लिए सबसे पहले डेढ़ गिलास दूध में 8 से 10 तुलसी की पत्तियां डालकर उबलने दें । जब दूध एक गिलास रह जाय तब गैस बंद कर दें । दूध हल्का गुनगुना होने पर इसे पीयें । इस दूध के नियमित सेवन से ही इन बीमारियों से निजात ( छुटकारा) पाया जा सकता है ।

तुलसी का पौधा लगाने में कई नियमों का पालन करना होता है ।

ज्यादातर हिंदू घरों में तुलसी का पौधा होता है । तुलसी का पौधा बुध का प्रतिनिधित्व करता है , जो भगवान कृष्ण का एक स्वरूप माना गया है । भगवान कृष्ण को तुलसी सर्वाधिक प्रिय है । भगवान कृष्ण को कोई भी भोग बिना तुलसी के नहीं लगाया जाता है । जो परिवार श्रीकृष्ण को मानते हैं उनके घर में तुलसी का पौधा जरूर पाया जाता है । वो श्रीकृष्ण के साथ तुलसी की भी आराधना करते हैं । कई लोग शाम में तुलसी के आगे दीपक भी चलाते हैं ।

लेकिन तुलसी का पौधा हर किसी के लिए शुभ नहीं होता है । तुलसी का पौधा लगाने में कई नियमों का पालन करना होता है । अगर आपने नियमों का पालन किए बिना तुलसी का पौधा घर में लगाते हैं , तो यह आपको हानि भी पहुंचा सकता हैं ।

किन लोगों को तुलसी का पौधा घर में नहीं लगाना चाहिए?

आचार्य कमल नंदलाल से जानते हैं कि किन लोगों को तुलसी का पौधा घर में नहीं लगाया जाना चाहिए । और इसे लगाते समय किन बातों को ध्यान रखने की जरूरत होती है । तुलसी को परम वैष्णव माना गया है । भगवान विष्णु के पूजन पद्धति में तामसिक तरीका का इस्तेमाल नहीं किया जाता है । भगवान विष्णु की पूजा राजसिक या सर्वाधिक प्रिय सात्विक तरीके से की जाती है । उन लोगों को अपने घर में तुलसी नहीं रखनी चाहिए जो मांस का सेवन करते हैं

भगवान विष्णु की पूजा में पद्धति में कभी भी तामसिक चीजों का प्रयोग नहीं होता है । यहां तक कि वहां पर प्याज और लहसुन भी वर्जित माना गया है । जो लोग मांसाहारी भोजन करते हैं उन्हें अपने घर में तुलसी का पौधा नहीं लगाना चाहिए । ऐसी जगह पर तुलसी का पौधा अच्छा नहीं पनपता है । विष्णु भक्तों के लिए मदिरा को हमेशा वर्जित माना गया है । जो लोग शराब पीते हैं और अपने घर में रखते हैं उन लोगों को भी अपने घर में तुलसी नहीं रखनी चाहिए । तुलसी का पौधा ऐसे लोगों को लाभ की बजाय हानि ज्यादा पहुंचाती है । क्योंकि तुलसी परम वैष्णव है । अगर आप इन नियमों का पालन नहीं कर सकते हैं तो बेहतर होगा कि आप अपने घर में तुलसी न रखें ।

तुलसी को दक्षिण दिशा में नहीं रखनी चाहिए

कभी भी तुलसी को दक्षिण दिशा में नहीं रखनी चाहिए क्योंकि इस दिशा में रखी गई तुलसी हमेशा अशुभ फल देती है । तुलसी को हमेशा उत्तर दिशा में ही रखना चाहिए जो बुध की दिशा मानी जाती है । तुलसी को कभी भी जमीन में नहीं लगाना चाहिए । तुलसी को हमेशा गमले में ही लगाना चाहिए । जमीन में लगाने पर तुलसी अशुभ फल देना शुरु कर देती है , जिसका असर घर के सदस्यों की सेहत पर पड़ता है । तुलसी को कभी भी दक्षिण पूर्व या उत्तर पश्चिम दिशा की तरफ नहीं लगाना चाहिए इस दिशा में रखी गई तुलसी धन की समस्या पैदा करती है । और घर में लाभ के काम कम होने लगते हैं । तुलसी को कभी भी नै‌ऋत्य कोण में नहीं लगाना चाहिए इस दिशा में भी तुलसी लगाना अशुभ माना जाता है । यहां पर लगाई गई तुलसी अधर्म को जन्म देती है । तुलसी को कभी भी छत पर नहीं रखनी चाहिए । तुलसी को छत पर रखने से बुध ग्रह खराब हो जाता है , और व्यक्ति के जीवन में मानसिक विकार आने लगते हैं । तुलसी को अंडर ग्राउंड भी नहीं लगाना चाहिए ऐसी जगह लगी हुई तुलसी रोग , विकार को जन्म देती है ।

तुलसी को हमेशा घर के आंगन , केन्द्र , या घर की पूर्वोत्तर या उत्तर दिशा में लगाना चाहिए इसे ईश्वर की दिशा मानी जाती है । इस जगह तुलसी सबसे ज्यादा शुभ परिणाम देती है । रविवार के दिन तुलसी का पूजा अर्चना नहीं करनी चाहिए और न ही इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ने चाहिए । बाकी दिनों में भी तुलसी के पत्ते सूर्यास्त के बाद नहीं तोड़ना चाहिए ।

Rajendra Yadav

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