कठिन होते हैं साधुओं के हठयोग

साधु-संत की अपनी अलग ही दुनिया है । बाहर से सामान्य दिखने वाले इन साधुओं के भी कई नाम व प्रकार होते हैं । कुछ साधु अपने हठयोग के लिए जाने जाते हैं , कुछ अपने संप्रदाय के नाम से जाने जाते हैं । उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे अर्ध कुंभ एवं महाकुंभ में ऐसे अनेक साधु संतों का जमावड़ा लगा रहता है , जो अपने हठयोग के कारण लोगों के आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं ।

आज हम आपको साधुओं से जुड़ी कुछ ऐसी ही बातें बता रहे हैं , जिनके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं ।

(1) दंडी साधु :-

यह साधु अपने साथ दण्ड एवं कमंडल रखते हैं । दण्ड बांस का एक टुकड़ा होता है , जो गेरुआ कपड़े से ढका रहता है । ये किसी धातु की वस्तु को नहीं छूते हैं । ये भिक्षा के लिए दिन में एक ही बार जाते हैं ।

(2) ऊर्ध्ववाहु साधु :-

ये सन्यासी अपने इष्ट (भगवान) को प्रसन्न करने के लिए अपना एक या दोनों हाथ ऊपर उठाकर रखते हैं ।

(3) आकाशमुखी साधु :-

जो सन्यासी आकाश की ओर देखते रहते हैं , उन्हें आकाश मुखी साधु कहते हैं । ये कठोर साधना है , जो कम ही साधु कर पाते हैं ।

(4) थारेश्वरी साधु :-

ये सन्यासी दिन-रात खड़े रहने की शपथ लेते हैं । ये खड़े-खड़े ही भोजन करते और सोते हैं । ऐसे साधुओं को हठयोगी भी कहा जाता है ।

(5) नखी साधु :-

जो सन्यासी सालों तक नाखून नहीं काटते हैं , उन्हें नखी साधु कहते हैं । उनके नाखून सामान्य से 20 गुना तक बड़े हो सकते हैं ।

(6) ऊर्ध्वमुखी साधु :-

यह साधु अपने पैरों को ऊपर और सिर नीचा रखते हैं । ये अपने पैरों को किसी पेड़ की शाखा से बांधकर लटकते रहते हैं ।

(7) पंचधुनी साधु :-

ये साधु अपने चारों ओर आग जलाकर तपस्या करते हैं । मिट्टी के बर्तन में अंगारे लेकर अपने सिर पर रखकर भी साधना करते हैं ।

(8) मौनव्रती साधु :-

ये सन्यासी मौन (कुछ ना बोलने) रहने की शपथ लेते हैं । अगर इन्हें किसी से कुछ कहना होता है तो कागज पर लिखकर उसे बताते हैं ।

(9) जलसाजीवी साधु :-

ये साधु किसी नदी या तालाब में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कमर तक पानी में खड़े रहकर तपस्या करते हैं ।

(10) जलधारा तपसी :-

ये साधु गड्ढे में बैठकर अपने सिर पर घड़ा रखते हैं , जिनमें छेद होते हैं । इस घड़े का पानी छिद्रों से इन पर निरंतर गिरता रहता है ।

Rajendra Yadav

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