महंगाई के अलावा मुद्दे और भी है – सैकड़ों अपने लोग फंसे है ईराक में

काल देर शाम कुन्दन दिखे .. हमने लपक के वेलकम अंदाज़ में दागा .. अउर कुन्दन भाई .. कैसे हो बड़े भाई !! … ऐसा है .. जैसा हूँ .. जहाँ हूँ .. के आधार पर स्वीकार करो .. ऐज इट इज .. बाकी मूड बहुत बोको हरम टाइप है। 

हम कहा अरे बताओ तो का हुआ .. काहें हमारे वेलकम पर ऐसा रिस्पांस दे रहे हो बड़े भाई .. जैसे सुप्रभात बोल देने पर कोई कामरेड दो कदम पीछे हो जाता है … कुन्दन की तरफ बेंत की मचिया बढ़ाते हुए हमने धीरे से कहा .. का रेल किराये के चौदह दशमलव दो से परेशान हो !! .. या तुम्हारे अंदर के अर्थशास्त्री ने माल भाड़ा उर्फ़ पांच दशमलव समथिंग के फेर में तुम्हे बजरंग दल टाइप तेवर बक्श रखा है !! यार तुम तो ऐसे आपिया टाइप धरनारत कभी न थे .. बस .. अब इसके बाद कुन्दन भाई ने उवाचना शुरू किया ..

चुप्पे रहो तुम ..जानते ही हो भाई, राजनीति में निस्पक्ष कुर्ता पहनता हूँ .. दुपहर में पंडित मिले .. हम कहा पंडित का हुआ .. आज अखबार देखा तो मालूम हुआ कि पुत्तर प्रदेश में पुत्तर जी ने सारा दान का सामान वापस खींच लिया झोले में .. गया बाबा तुम्हारा लैप .. और मोबाईल का महीना खर्च भत्ता .. अब बोलो कौन धन पे कन्या पूजा करोगे .. बबवा कहता है .. कुन्दन .. कहाँ प्रदेश में अँटके हो दायरा बढ़ाओ .. यार नेशनल खेलो .. देखो का गज़ब बुलेट रफ़्तार से चौदहवाँ मनाया जा रहा है .. मार डाले मोदी … हम कहा हाँ पंडित सही कहे .. बिमारी का इलाज एपिसोड में करना रहा .. चार -चार परसेंट करके के चार बार में छुआना रहा .. सब सहला के रह जाते .. और मिर्च खर्च होने से बच जाती .. अभी देखो सारी मिर्च किराँती पे लगी है ..सुना है कहते हैं और खर्च कराएंगे जोलकिया आई मीन असामी में मिर्च।
हमने भाई तब पंडित की तरफ चाय बढ़ाते कहा .. अच्छा बाबा तुम्हारे कहने पर हम मामला स्टेट से नेशनल पर ले आये .. अब एक इंटरनेशनल तलब उठ रही है गले में .. कहो तो पेश करूँ !! बाबा बोले .. एक दम करो .. निकल लो वैश्विक चिंतन पर .. इंटनेशनल मसला हाज़िर हो।

अच्छा पंडित शनीचर को तुम समझाये रहे की ईराक में सत्ता परिवर्तन का दौर चल रहा है और हमे ईराक में हो रहे महान सत्ता बदलाव की इस शांत और शांति प्रक्रिया का उचित दूरी से सम्मान करना चाहिए … लेकिन .. यार गुरु .. इ अखबार कहता है कि उधर बहुत मार काट मची है ..इ ससुर अमरीका चाचा तो बदमाश है ही .. सद्दाम भाई के अल्पसंख्यक राज के बाद बहुसंख्यक भाई लोग से फिर अपना हक़ बड़े प्यार और तहज़ीबी शांति से हासिल करने की ख़ुशी में ताज़ा लाल रंग से होलियाने टाइप माहोल किये हैं .. लेकिन यार इ कौन सा सत्ता परिवर्तन है जिसमे मामला इतना गीला -पीला हो रहा है !! होने को तो एक सत्ता परिवर्तन अपने इधर भी हुआ … सब डरा भी रहे रहे थे .. लेकिन न लाल हुआ न पीला .. कुल मिला के मामला तिरंगा टाइट हुआ।

पंडित अब गुर्राने लगा भाई .. बोलिस .. चोप्प .. चोप्प .. खामोश कुंदन .. हम कहे रहे पिछले शनिचर तुमको .. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मलतब इ नहीं की प्रवेश वर्जित का बोर्ड भी नहीं पढोगे .. अरे कोई अच्छा काम कहीं दूर देश हो रहा है तो भाग- भाग के इंटनेशनल होने की क्या जरुरत .. देश में क्या परेशानी कम है जो दूर की ख़ुशी बाँचे .. चलो तुम लोकल ही रहो .. हाँ बोलो का कह रहे थे .. बेरोजगारी भत्ता भी बंद कर दिया !!

कुंदन उवाच .. अच्छा पंडित .. उसमे भी एक लोकल मामला है .. सुनो तो .. सैकड़ों अपने भाई लोग और ठीक ठाक बहन जी लोग फंसे है उधर शांति सदभाव के बीच सत्ता परिवर्तन वाले ईराक में .. चलो उन्ही पे बात कर लें … यार बाबा कसम से कोई ज़िक्र तक नहीं कर रहा है बेचारों का इस ख़ुशी के माहोल में.. मानवाधिकार जगाओ बे .. बाबा प्यारे .. मुक्ति गुहार टाइप।

कहा न … अँसे हों या फँसे हों … जब शांति की धरती पर प्रवेश वर्जित .. तो वर्जित .. ये आदर्श वैचारिक आचार संघिता का मामला है जो इस मामले में कड़ाई से लागू होता है .. हम इन अभागों के लिए कुछ नहीं सोच / बोल / तौल सकते …. चलो अब लोकल हो जाओ।

हाँ ये … कालाधन .. और माल भाड़ा कितना बढ़ा है !! अमे कुछ नहीं तो आज केम्पा पीओ और कोला सोसाइटी में आराम करो। बी लोकल … ओके … अब बताओ भाई .. ऐसा बोलता है बबवा … जो खुदे बात बात पे सीरिया और मोहल्ले के बल्लू मिसिर को भी बीच में मिस्र बोलने लगा था .. अब कहिता है लोकल रहो .. हम अपनी मचिया और आगे खिसकाते हुए बोले कुंदन मेरे भाई … तू अखबार कम पढ़ा कर .. और बस पंडित से मिला कर .. उसके मुताबिक लोकल घूम .. जब वो कहे तब इंटरनेशन मामला सूँघ .. पंडित पुराना सुँघनाबाज़ है रे .. चल एक सिगरेट पीते हैं .. लोकल चाय के साथ।

Apna Purvanchal Admin

Learn More →

Leave a Reply