रुद्राक्ष के महत्व

भारतीय संस्कृति में रुद्राक्ष सिर्फ एक मनका नहीं वरन दर्शन है । ऐसा दर्शन जो आस्थावानों को जिंदगी से लड़ने की क्षमता देता है , तो यथार्थवादियों को उसके चिकित्सकीय चमत्कार अचंभित कर जाते हैं । वाकई रुद्राक्ष में जीवन-मरण, यश-अपयश , लाभ-हानि से लड़ने की अद्भुत क्षमता है । यही वजह है कि हजारों सालों से इसकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आयी । दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे जैसी कई हस्तियों का रुद्राक्ष प्रेम तो जग जाहिर है ।

रुद्राक्ष क्या है ?

रुद्राक्ष , दो शब्दों के जोड़ रूद्र और अक्ष से बना हुआ है । रुद्र यानी भगवान शिव और अक्ष यानी आंसू , अर्थात भगवान शंकर के आंखों से जो पौधा अस्तित्व में आया, वह रुद्राक्ष कहलाया । वैदिक ग्रंथों के मुताबिक रुद्राक्ष में ग्रहों के दुष्प्रभाव कम करने की अद्भुत शक्ति होती है । यह भी मान्यता है कि रुद्राक्ष चाहे कितने भी मुख का क्यों न हो , उसे पहनने से किसी तरह का नुकसान नहीं होता है ।

कब और कैसे पहने ?

रूद्राक्ष सोमवार या भगवान शिव से जुड़े किसी भी दिन पहना जा सकता है । पहनने से पहले उसे दूध , घी , यदि शहद से धोकर प्राण प्रतिष्ठा कर लेनी चाहिए । ओम नमः शिवाय का 108 बार जाप करना भी ठीक रहता है ।

रुद्राक्ष के प्रकार

दुनिया भर में 1 से लेकर 38 मुखों तक के रुद्राक्ष पाए जाते हैं । सामान्यत: 14 तरह के रुद्राक्ष ही अधिक लोकप्रिय हैं । एक मुखी तथा 9 से 14 मुखी रुद्राक्ष बेहद दुर्लभ होते हैं । एक मुखी रुद्राक्ष में तो अद्भुत शक्ति होती है । पूजा के लिए पंचमुखी रुद्राक्ष आदर्श माना गया है । भारतीय ज्योतिष विज्ञान में ग्रह दोष दूर करने तथा रोगों के उपचार के लिए इन्हीं का प्रयोग किया जाता है । प्रत्येक मुख वाले रुद्राक्ष का व्यक्ति पर अलग प्रभाव होता है , इसलिए किसी सिद्धहस्त विशेषज्ञ को अपनी जन्मपत्री दिखाकर ही व्यक्ति को रुद्राक्ष पहनना चाहिए ।

एक मुखी रुद्राक्ष

एक मुखी रुद्राक्ष सृष्टि के नियामक भगवान सूर्य की प्रतिनिधि हैं । यह मनुष्य के शरीर पर पड़ने वाले सूर्य के अशुभ प्रभावों को नियंत्रित करता है । जैसे दाईं आंख में खराबी , सिर दर्द , कान दर्द , आंत संबंधी रोगों , हड्डियों की कमजोरी आदि में लाभ पहुंचाता है । यही नहीं मानसिक कमजोरियों जैसे आत्मविश्वास में कमी , नेतृत्व क्षमता के अभाव को भी नियंत्रित करता है । कहा जाता है कि इसे पहनने वाले पर भगवान सूर्य की खास कृपा रहती है । उस के मार्ग में आने वाली हर बाधा को वे दूर करते हैं ।

दोमुखी रुद्राक्ष

चन्द्रमा, इसका कारक ग्रह है । इसे धारण करने से चंद्रमा के दुष्प्रभावों जैसे बाईं आंख में खराबी, गुर्दे वह अंतड़ियों के रोगों में कमी आती है । साथ ही भावनात्मक रिश्ते मजबूत होते हैं ।

तीनमुखी रुद्राक्ष

यह अग्नि के देवता मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है । विभिन्न शारीरिक विकारों जैसे असंतुलित रक्तचाप , अनियमित मासिक धर्म , गुर्दे के रोगों के साथ-साथ मानसिक परेशानियों जैसे डिप्रेशन , नकारात्मक विचारों , अपराध बोध तथा हीन भावना में भी कमी आती है ।

चारमुखी रुद्राक्ष

इस रूद्राक्ष का प्रतिनिधि ग्रह बुध है , तथा देवी सरस्वती तथा ब्रह्मा इसके इष्ट हैं । इसके पहनने से दिमागी फुर्ती , समझ तथा वार्तालाप प्रभावी बनता है और मन को शक्ति मिलती है ।

पंचमुखी रुद्राक्ष

इसका कारक ग्रह बृहस्पति है जो ज्ञान विज्ञान , अस्थि-मज्जा , जिगर , हाथ , जांघ , धर्म तथा भौतिक सुखों का प्रतिनिधि है । इसे पहनने से बृहस्पति के दुष्प्रभावों जैसे मानसिक अशांति , दरिद्रता , कमजोर शारीरिक गठन , गुर्दे , कान वह मधुमेह जैसे रोग दूर होते हैं ।

छहमुखी रुद्राक्ष

इसका प्रतिनिधि ग्रह शुक्र है । इसे पहनने से जननेंद्रिय , यौन तथा कंठ संबंधी रोग दूर होते हैं । प्रेम तथा संगीत की ओर व्यक्ति का रूझान बढ़ता है ।

सातमुखी रुद्राक्ष

सात मुखी रूद्राक्ष धारण करने से शनि ग्रह के दुष्प्रभावों , नपुंसकता , कफ , निराशा , लंबी बीमारी तथा चिंताएं दूर होती हैं ।

आठमुखी रुद्राक्ष

इसका नाता राहू ग्रह से है । इसे धारण करने से मोतियाबिंद , फेफड़े , तथा त्वचा आदि के रोग दूर होते हैं । सर्पदंश की संभावना कम होती है ।

नौमुखी रुद्राक्ष

यह रुद्राक्ष केतु के दुष्प्रभावों को कम करने में कारगर साबित होता है । केतु ग्रह फेफड़ों , त्वचा , आंख तथा पेट के रोगों का कारण है ।

दसमुखी रुद्राक्ष

इस रुद्राक्ष का कोई प्रतिनिधि ग्रह नहीं है । इसे पहनने से व्यक्ति खुद को सुरक्षित महसूस करता है ।

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष

इसे पहनने से साहस तथा आत्मविश्वास में वृद्धि होती है ।

बारहमुखी रुद्राक्ष

इसका प्रतिनिधि ग्रह सूर्य होने की वजह से यह एकमुखी रुद्राक्ष वाले ही प्रभाव व्यक्ति को देता है ।

तेरहमुखी रुद्राक्ष

इसके प्रभाव भी छहमुखी रुद्राक्ष के जैसे ही प्रभाव होते हैं । इसे पहनने से व्यक्ति की मानसिक ताकत बढ़ती है ।

चौदहमुखी रुद्राक्ष

इसे पहनने से शनि के दुष्प्रभाव कम होते हैं ।

रुद्राक्ष और सेहत

शोंधों से सिद्ध हो चुका है कि रुद्राक्ष तन मन की बहुत सी बीमारियों में राहत पहुंचाता है । इसे पहनने से दिल की धड़कन तथा रक्तचाप नियंत्रित होता है , पर इसके लिए रुद्राक्ष का मरीज के दिल को छूना जरूरी है । तनाव , घबराहट , डिप्रेशन तथा ध्यान भंग जैसी समस्याएं दूर होती हैं ।

Rajendra Yadav

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