स्त्रियों को मासिक धर्म की पौराणिक कथा

महिलाओं को होने वाले मासिक धर्म को उल्लेख हिंदू धर्म ग्रंथों में भी मिलता है । हाल ही में कुछ मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक पर काफी विवाद हुआ था । मंदिर के प्रमुख लोगों का कहना था कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाई जाए । दरअसल मंदिर प्रमुख का कहना है कि मासिक धर्म टेस्ट करने वाली मशीन के चेक होने के बाद ही महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत मिलेगी । उन्हें लगता है कि महिलाओं की शुद्धता का पता लगाना मुश्किल होता है ।

लेकिन महिलाओं को होने वाले मासिक धर्म का उल्लेख हिंदू ग्रंथों में भी मिलता है । भागवत पुराण के अनुसार स्त्रियों को मासिक धर्म क्यों होता है ? इस बारे में एक पौराणिक कथा मिलती है । पुराण के अनुसार एक बार ‘बृहस्पति’ जो देवताओं के गुरु थे , एक बार वह देवराज इंद्र से काफी नाराज हो गए । इसी दौरान असुरों ने देव लोक पर आक्रमण कर दिया और इंद्र को इंद्रलोक छोड़कर जाना पड़ा । तब इन्द्र , ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और उनसे मदद की मांग की । तो ब्रह्मा जी ने कहा कि इंद्रदेव , आपको किसी ब्रह्म – ज्ञानी की सेवा करनी चाहिए । ऐसे में आपके दु:ख का निवारण होगा । तब इन्द्र एक ब्रह्म – ज्ञानी व्यक्ति की सेवा करने लगे । लेकिन वह इस बात से अनजान थे कि उस ब्रह्म – ज्ञानी की माता असुर थी । माता का असुरों के प्रति विशेष लगाव था । ऐसे में इंद्र देव द्वारा अर्पित सारी हवन सामग्री जो देवताओं को अर्पित की जाती थी, वह ब्रह्म- ज्ञानी असुरों को चढ़ाया करते थे । इससे इंद्र की सेवा भंग हो गई । जब इंद्र को यह बात पता चली तो बहुत नाराज हुए हैं । उन्होंने उस ब्रह्म- ज्ञानी की हत्या कर दी । हत्या करने से पहले इंद्र उस ब्रह्म-ज्ञानी को गुरु मानते थे और गुरु की हत्या करना घोर पाप है । इसी कारण उन्हें ब्रह्म-हत्या का दोष भी लग गया । यह पाप एक भयानक दानव के रूप में उनका पीछा करने लगा । किसी तरह इंद्र ने स्वयं को एक फूल में छुपाया और कई वर्षों तक उसी में भगवान विष्णु की तपस्या करते रहे । भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और इंद्र को ब्रह्म- हत्या के दोष से बचा लिया । उन्होंने इस पाप मुक्ति के लिए एक सुझाव दिया । सुझाव के अनुसार इंद्र ने पेड़ , जल , भूमि और स्त्री को अपने पाप का थोड़ा-थोड़ा अंश देने के लिए मनाया । इंद्र की बात सुनकर वह तैयार हो गए । बदले में इन्द्र ने उन्हें एक-एक वरदान देने की बात कही । सबसे पहले पेड़ ने ब्रह्म-हत्या के पाप का एक चौथाई हिस्सा लिया। जिसके बदले में इंद्र ने पेड़ को अपने आप जीवित होने का वरदान दिया । इसके बाद जल ने एक चौथाई हिस्सा लिया, तो इंद्र ने जल को वरदान दिया कि जल को अन्य वस्तुओं को पवित्र करने की शक्ति होगी । तीसरे पड़ाव में भूमि ने ब्रहम- हत्या का दोष इन्द्र से लिया । बदले में इंद्र ने भूमि को वरदान दिया कि भूमि पर आने वाली कोई भी चोट से उसे कोई असर नहीं होगा और वह फिर से ठीक हो जाएगी । आखिर में स्त्री ही शेष बची थी । इंद्र का ब्रह्म-हत्या का दोष स्त्री ने लिया । बदले में इंद्र ने स्त्री को वरदान दिया कि स्त्रियों को हर महीने मासिक धर्म होगा , लेकिन महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा कई गुना ज्यादा काम का आनंद उठा सकेगीं ।

पौराणिक मतों के अनुसार स्त्रियां ब्रह्म -हत्या यानी अपने गुरु की हत्या का पाप सदियों से उठाती आ रही हैं । इसलिए उन्हें मंदिरों में अपने गुरुओं के पास जाने की इजाजत नहीं है । मान्यता है कि तभी से स्त्रियों में मासिक धर्म का होना शुरू हुआ । हालांकि आधुनिक युग में वैज्ञानिक मत को मानने वाले लोग इन बातों को गंभीरता से नहीं लेते हैं ।

Rajendra Yadav

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