ऐसे हुई थी नाग वंश की उत्पत्ति

महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित और भगवान श्री गणेश द्वारा लिखित ‘महाभारत’ में नाग देवता का उल्लेख मिलता है । दुनिया के सबसे बड़े ग्रंथ के अनुसार महर्षि कश्यप की 13 पत्नियां थीं । इन्हीं में से एक थी ‘कद्रू’ ।

कद्रू , ऋषि की बहुत सेवा करती थी । ऋषि ने एक बार खुश होकर कद्रू से वर मांगने को कहा , तो कद्रू ने वर मांगा कि उसके एक हजार तेजस्वी नागपुत्र हों । ऋषि ने यह वर दे दिया । निश्चित समय के बाद कद्रू के एक हजार नागपुत्र हुए । इस तरह नाग वंश की उत्पत्ति हुई । पुराणों में वर्णित है कि सात नागवंशी राजा मथुरा पर राज करेंगे । उसके पीछे गुप्त राजाओं का राज्य होगा । नौ नाग राजाओं के जो पुराने सिक्के मिले हैं , उन पर बृहस्पति नाग , देवनाग , गणपति नाग इत्यादि नाम मिलते हैं ।

वहीं पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि कश्मीर का अनंतनाग इलाका अनंतनाग समुदायों का गढ़ था । उसी तरह कश्मीर के बहुत सारे अन्य इलाके भी कद्रू के दूसरे पुत्रों के अधीन थे ।

कुछ अन्य पुराणों के अनुसार नागों के प्रमुख पांच कुल थे । अनंत , वासुकी , तक्षक , कर्कोटक और पिंगला । जबकि कुछ और पुराणों में नागों के अष्टकुल बताए गए हैं । वासुकी , तक्षक , कुलक , कर्कोटक , पद्म ,शंख , चूड़ , महापद्म और धनंजय । अग्नि पुराण में 80 प्रकार के नागकुलों का वर्णन है , जिसमें वासुकी , तक्षक , पद्म , महापद्म प्रसिद्ध है ।

Rajendra Yadav

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